Friday, June 26, 2020

प्रलय हो

सोते हैं हम,कि अब प्रलय हो।
जागेंगे हम, कि जब प्रलय हो।।
माता का शव पड़ा है, प्रलय हो।
उसपे शिशु खेलता है, प्रलय हो।।
श्रमिक को शरण नहीं, प्रलय हो।
न जीवन, मरण नहीं, प्रलय हो।।
सड़क है पग जला रही, प्रलय हो।
तृष्णा है अब सुला रही, प्रलय हो।
कोई घर में क़ैदी हो गया, प्रलय हो।
कोई मीलों चला सो गया, प्रलय हो।।
वो विवश हैं, लाचार हैं, प्रलय हो।
ये खींचते दीवार हैं, प्रलय हो।।
वो रो रहे मन खो रहे, प्रलय हो।
ये चैन से हैं सो रहे, प्रलय हो।।
वो पेट भरते भूख से, प्रलय हो।
ये निश्चल हैं रूख से, प्रलय हो।।
जीवन बिकाऊ हो गया, प्रलय हो।
कैसा अनर्थ हो गया, प्रलय हो।।
प्रकृति करे अट्टहास, प्रलय हो।
स्वामी कहाँ, है कौन दास, प्रलय हो।।
लंबी लगी कतार है, प्रलय हो।
कैसा ये संस्कार है, प्रलय हो।।


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