सोते हैं हम,कि अब प्रलय हो।
जागेंगे हम, कि जब प्रलय हो।।
माता का शव पड़ा है, प्रलय हो।
उसपे शिशु खेलता है, प्रलय हो।।
श्रमिक को शरण नहीं, प्रलय हो।
न जीवन, मरण नहीं, प्रलय हो।।
सड़क है पग जला रही, प्रलय हो।
तृष्णा है अब सुला रही, प्रलय हो।
कोई घर में क़ैदी हो गया, प्रलय हो।
कोई मीलों चला सो गया, प्रलय हो।।
वो विवश हैं, लाचार हैं, प्रलय हो।
ये खींचते दीवार हैं, प्रलय हो।।
वो रो रहे मन खो रहे, प्रलय हो।
ये चैन से हैं सो रहे, प्रलय हो।।
वो पेट भरते भूख से, प्रलय हो।
ये निश्चल हैं रूख से, प्रलय हो।।
जीवन बिकाऊ हो गया, प्रलय हो।
कैसा अनर्थ हो गया, प्रलय हो।।
प्रकृति करे अट्टहास, प्रलय हो।
स्वामी कहाँ, है कौन दास, प्रलय हो।।
लंबी लगी कतार है, प्रलय हो।
कैसा ये संस्कार है, प्रलय हो।।
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yeh un lamhon ka guchcha hai jinhone meri rachnatmakta ko nayi dishaayein di hain...meri srijanaatmakta ke naye pehluon se mera parichay karwaya hai......yeh guchcha un lamhon ka bhi hai jinhone mera parichay mujhse karwaaya aur ab aapse karwaane ja rahe hain
Friday, June 26, 2020
माँ चाहती है
मां चाहती है, एक कोख धरती सरीखी
माँ चाहती है, पिता के प्यार से भरा आँचल
माँ चाहती है, बचपन खाली न होने दे गोदी को
माँ चाहती है, शब्दकोश क्रंदन का मौन का भी
माँ चाहती है, आंसुओं से नहीं नींद से बोझिल हो आंखें
माँ चाहती है, बस उतना पढ़ पाना कि पढ़ ले मासूम आँखों को
माँ चाहती है, बस उतना स्वर की लोरी गा सके
माँ चाहती है, चोट लगे तो जाते जाते सिखा जाए चलना
माँ चाहती है, बोले तो मिसरी घोले
माँ चाहती है, नन्ही आंखें sapneeli , ईर्ष्यालु नहीं
माँ चाहती है, बस उतना आराम कि फिर उठ खड़ी हो
माँ चाहती है, दे पाना उम्मीद उजले सवेरे कि
माँ चाहती है, कस के थामे रहना उंगली
माँ चाहती है, उंगली छोड़ पाना वक़्त आने पर
माँ चाहती है, प्रश्न चिन्ह लगने से पहले उत्तर बन जाए प्रश्न
माँ चाहती है, क्षमता फटकार पाने की अपनी जुड़े के टुकड़े को
माँ चाहती है, क्षमा अपनी सीमाओं से बंधी होने की
माँ चाहती है, ख़ुद को याद रख पाना
माँ चाहती है, आश्वासन कि प्यार ही परोसा जाएगा उसकी आंख के तारे को
माँ चाहती है, कुदरत की ममता सहलाया करे सदा
माँ चाहती है, परम रहे परमात्मा
माँ चाहती है, उपाधि बस मनुष्यता की
माँ चाहती है, पिता के प्यार से भरा आँचल
माँ चाहती है, बचपन खाली न होने दे गोदी को
माँ चाहती है, शब्दकोश क्रंदन का मौन का भी
माँ चाहती है, आंसुओं से नहीं नींद से बोझिल हो आंखें
माँ चाहती है, बस उतना पढ़ पाना कि पढ़ ले मासूम आँखों को
माँ चाहती है, बस उतना स्वर की लोरी गा सके
माँ चाहती है, चोट लगे तो जाते जाते सिखा जाए चलना
माँ चाहती है, बोले तो मिसरी घोले
माँ चाहती है, नन्ही आंखें sapneeli , ईर्ष्यालु नहीं
माँ चाहती है, बस उतना आराम कि फिर उठ खड़ी हो
माँ चाहती है, दे पाना उम्मीद उजले सवेरे कि
माँ चाहती है, कस के थामे रहना उंगली
माँ चाहती है, उंगली छोड़ पाना वक़्त आने पर
माँ चाहती है, प्रश्न चिन्ह लगने से पहले उत्तर बन जाए प्रश्न
माँ चाहती है, क्षमता फटकार पाने की अपनी जुड़े के टुकड़े को
माँ चाहती है, क्षमा अपनी सीमाओं से बंधी होने की
माँ चाहती है, ख़ुद को याद रख पाना
माँ चाहती है, आश्वासन कि प्यार ही परोसा जाएगा उसकी आंख के तारे को
माँ चाहती है, कुदरत की ममता सहलाया करे सदा
माँ चाहती है, परम रहे परमात्मा
माँ चाहती है, उपाधि बस मनुष्यता की
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