सूर्य जो
थकता नहीं,रुकता नहीं,डरता नहीं
कभी हटता नहीं पीछे
वो ख़ुद जल कर के ही
उनको जगाता है जो
चलते जा रहे हैं आँख मीचे।
है उसका तेज उसकी आत्मा की
दृढ़ प्रतिज्ञा, चिर तपस्या
है वही जो सत्य का संकल्प साधे,
अहम की जो लेके समिधा
हवन आत्मा का है करता।
जल रहा है सूर्य
तो उम्मीद है, तो आस है।
कि दिन लग जाएँ जितने भी
चलेंगे,दिन बदल देंगे
थको मत।
कोई कैसी बदी हो
टाल देंगे भेद हम लेंगे
रुको मत।
कोई दीवार कैसी हो
गिरा दो और बना लो रास्ता
हटो मत।
कहो सच जब कहो
मिटा दो नाम नफ़रत का
#डरोमत
0 comments:
Post a Comment