Tuesday, August 2, 2022

तिरंगा

मैं तिरंगे में, तिरंगा मुझमें लहराता है।
सांस का प्राण का जो, ये वही नाता है।।
ये ख़ादी सभ्यता दिखलाता है
कल थे ठुकराते, जो आज भला कहते हैं
कह लो, कहने में भी क्या जाता है।।