Friday, July 31, 2015

कौतूहल

कैसी है ये उथल पुथल.
कैसा है मन में कौतूहल?
प्रश्न के उत्तर प्रश्न हैं क्यों
उत्तर इसका है नहीं सरल.
वर्षा कहाँ लुप्त है जबकि,
नभ में नृत्य करें बादल.
वर्षा यदि हुई भी तो क्या,
होंगे तृप्त सभी, जलथल?
क्यों बुद्धिजीवी चिंता में है,
क्यों नित हँसता है पागल?
मृत्यु तो निश्चित ही है, क्यों
मर मर जीता है हर पल?
क्यों 'कल' वो जो बीत गया
जो आएगा वो भी कल?
जीवन का तो अर्थ ही है,
प्रश्नोत्तर और उथल पुथल
हैं तब तक ही प्राण देह में,
श्वास का जब तक कौतूहल.